Thursday 6 September 2012

क्यूँ नर्बदा?

Photo by Pallav Thudgar
नर्बदा, क्यूँ तुम ही नहीं मुड जाती*
दिल्ली कि ओर;
कंपकपाती यमुना को ले
घेर लेती चीलों की संसद को?
क्यूँ, नर्बदा तुम भी
उंगली पकडे खड़ी हो;
हजारों उन चिंगारियों
को तेल देती?
नर्बदा, क्यूँ तुम ही नहीं
चट्टानों को चींर नया रास्ता बना देती,
उजाला जो दीयों तले है सब ओर फैला देती?

*नर्मदा घाटी में आम बोलचाल का हिस्सा

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